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सुशांत सिंह राजपूत ने की सुसाइड

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बॉलीवुड इंडस्ट्री से चौंकाने वाली खबर सामने आई है > बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत ने सुसाइड कर लिया है। अभी तक सुशांत के सुसाइड की वजह सामने नहीं आई है। मुंबई पुलिस जांच के लिए उनके घर पहुंची है। रिपोर्ट्स के मुताबिक सुशांत के नौकर ने पुलिस को फोन करके इसकी जानकारी दी है। सुशांत के सुसाइड की खबर सुनकर बॉलीवुड सेलेब्स को भी सदमा लगा है। अक्षय कुमार ने ट्वीट किया, 'मैं बहुत शॉक्ड हूं और मेरे पास कहने के लिए कुछ शब्द नहीं है। मैंने उनकी आखिरी फिल्म छिछोरे देखी थी और उनके प्रोड्यूसर साजिद को मैंने बताया था कि कितना मजा आया मुझे यह फिल्म देखकर। वह बहुत ही टैलेंटेड एक्टर थे'। बता दें कि कुछ दिनों पहले ही सुशांत सिंह राजपूत की एक्स मैनेजर दिशा सालियान ने आत्महत्या की थी। सुशांत ने अपनी इंस्टा स्टोरी में दिशा को लेकर लिखा था, 'ये बहुत दुखद खबर है। दिशा के परिवार और दोस्तों को मेरी सांत्वना। ईश्वर तुम्हारी आत्मा को शांति दे। मां के लिए लिखा था आखिरी पोस्ट सुशांत का लास्ट इंस्टाग्राम पोस्ट अपनी मां के लिए था। उन्होंने मां के साथ अपनी फोटो शेयर कर लिखा था, '

आरक्षण भीख नहीं, वंचितों का अधिकार है

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आरक्षण भीख नहीं, वंचितों का अधिकार है वैसे तो यह लेख थोडा पुराना है पर चुकी आरक्षण का मुद्दा भी एक ऐसा मुद्दा है जिसे स्वर्ण बंधू हर बार उसी रटे-रटाये तोते की तरह तरह बोलते रहते हैं जो “शब्दों” के अर्थ को भी नहीं जानता।  अधिकतर स्वर्ण बंधू  बिना ये जाने की आरक्षण क्यों और किसे दिया गया है , उनके नियम क्या हैं ? ये आर्थिक है या सामाजिक ? बिना ये सब जाने आरक्षण को गरीबी और आर्थिक स्थिति से जोड़ देते हैं।    इसलिए ये लेख आज भी उतना ही प्रसांगिक है जितना की जब ये लिखा गया था , इस्ल लेख को पढ़ के शायद “कुछ” स्वर्ण बंधुओं को आरक्षण के विषय में उनकी अज्ञानता दूर हो । इस समय देश मेंपदोन्नति में आरक्षण को लेकर एक गंभीर बहस छिड़ी हुई है। कैबिनेट नेप्रस्ताव पास कर दिया कि अनुसूचित जाति/जनजाति को पदोन्नति में आरक्षण दियाजाना चाहिए। बसपा ने इसका समर्थन किया और समाजवादी पार्टी ने विरोध। इससंदर्भ में प्रधानमंत्री ने 21 अगस्त को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी और उसमेंभी तय हुआ कि पदोन्नति में आरक्षण को लेकर संवैधानिक संशोधन की जरूरत है।संसद में 51 पार्टियां हैं, जिनमें सपा को छोड़कर सभी ने पदोन्नति मेंआरक्षण

मायावती जी

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मायावती का जन्म 15 जनवरी 1956 को नई दिल्ली के जाटव परिवार में हुआ था। उनके पिता, प्रभु दास, गौतम बुद्ध नगर में एक डाकघर कर्मचारी थे। मायावती के ६ भाई एवं २ बहनें हैं। उन्हें "बहन जी" के नाम से भी जाना जाता है।  उन्होंने 1975 में दिल्ली विश्वविद्यालय के कालिंदी कालेज से कला में स्नातक की। 1976 में उन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय से बी.एड और 1983 में दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई की। राजनीति में प्रवेश से पूर्व वे दिल्ली के एक स्कूल में शिक्षण कार्य करती थी। इसके अलावा वे भारतीय प्रशासनिक सेवा के परीक्षाओं के लिये अध्ययन भी करती थी। सन् 1977 में कांशीराम के सम्पर्क में आने के बाद उन्होंने एक पूर्ण कालिक राजनीतिज्ञ बनने का निर्णय ले लिया। कांशीराम के संरक्षण के अन्तर्गत वे उस समय उनकी कोर टीम का हिस्सा रहीं, जब सन् 1984 में बसपा की स्थापना हुई थी। 1989:बिजनौर लोकसभा  उत्तर प्रदेश से संसद सदस्य निर्वाचित। 1994: उत्तर प्रदेश से राज्य सभा के लिए निर्वाचित। 1995 :प्रथम भारतीय दलित महिला के रूप में उत्तर प्रदेश राज्य की मुख्यमंत्री के पद की शपथ ली। उत्तर प्रदेश की राजनीति में

प्रवासी मजदूर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली

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उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में एक और युवक के फांसी लगाकर जान देने का मामला सामने आया है. घटना बीते आठ जून को जिले के मरका थाना क्षेत्र की है.युवक लॉकडाउन के कारण हाल ही में गुजरात के अहमदाबाद शहर से लौटा था.बबेरू क्षेत्र के पुलिस उपाधीक्षक (सीओ) राजीव प्रताप सिंह ने मरका पुलिस के हवाले से बताया कि सोमवार को मऊ गांव में उदय गुप्ता के बेटे मोहित (19) ने कमरे में पंखे के हुक से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली. उनकी गुजरात के अहमदाबाद शहर में फल की दुकान थी, लेकिन लॉकडाउन होने के बाद वह अप्रैल में घर लौट आए थे.उन्होंने बताया कि मृतक के परिजन आत्महत्या की खास वजह नहीं बता पाए. पुलिस ने पोस्टमॉर्टम कराने के बाद शव परिजन को सौंप दिया है और मामले की जांच आरंभ कर दी है. मालूम हो कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से बनी परिस्थितियों के कारण लोगों द्वारा आत्महत्या करने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं.बीते तीन जून को बांदा ज़िले की नरैनी कोतवाली क्षेत्र के मोतियारी गांव में कथित तौर पर आर्थिक तंगी से परेशान एक महिला ने अपने तीन बच्चों के साथ जहर खाकर खुदकुशी की कोशिश की

बहुजन समाज

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बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने प्रवासी मजदूरों पर न्यायालय के निर्देशों का स्वागत करते हुए बुधवार को कहा कि इस संबंध में सरकारों को गंभीरता और शीघ्रता  से  कार्रवाई करनी चाहिए। सुश्री मायावती ने ट्वीट श्रंखला में कहा कि प्रवासी मजदूरों को उनके आवासों के निकट काम उपलब्ध कराया जाना चाहिए और मजदूरों के विरुद्ध दर्ज किये गए मुकदमें वापस लेने चाहिए। उन्होंने कहा, “ कोरोना महामारी और लाॅकडाउन के कारण बेरोजगार तथा बेसहारा होकर जैसे-तैसे हजारों किलोमीटर दूर घर वापसी करते समय नियमों का अक्षरशः पालन नहीं कर पाने वाले मजलूम प्रवासी श्रमिकों के विरूद्ध जो मुकदमे दर्ज किए गए हैं उन्हें वापस लेने का उच्चतम न्यायालय का आदेश सही, सामयिक और सराहनीय है। ” बसपा ने कहा कि इस केंद्र और राज्य सरकारों को प्रवासी मजदूरों को उनके पैतृक स्थलों पर पहुंचने में मदद करनी चाहिए। उन्होेंने कहा, “ साथ ही, घर वापस लौटेे प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्य में उनकी योग्यता का आकलन करके रोजगार की व्यवस्था करने संबंधी न्यायालय के निर्देश का भी भरपूर स्वागत है। इस संबंध में अब सरकारों को गंभीर और संवेदनशील होकर ठोस

मजदूरों की आवाज

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उधर , देश में यूपी के मजदूरों की घर वापसी और लॉकडाउन में हुई दुर्दशा को देखते हुए योगी सरकार ने घोषणा कर दी कि किसी भी राज्य को अब यूपी के मजदूरों की सेवा लेने से पहले यूपी सरकार से इसकी इजाजत लेनी होगी। यूपी सरकार के इस निर्णय के बाद महाराष्ट्र में एक बार फिर मराठी और गैर मराठी राजनीति का दौर शुरू होता दिख रहा है। योगी के बयान के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि अगर योगी आदित्यनाथ ने ऐसा नियम बनाया है तो अब हम भी यह कहना चाहते हैं कि किसी भी मजदूर को महाराष्ट्र आने से पहले अब हमारी सरकार , पुलिस और प्रशासन से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। ऐसा ना करने पर किसी को महाराष्ट्र में एंट्री नहीं मिलेगी। योगी आदित्यनाथ को इसका ध्यान रखना चाहिए। वहीं शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि यदि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री चाहते हैं कि राज्यों को उनके प्रदेश के लोगों को रोजगार देने के लिए उनकी अनुमति लेनी चाहिए तो उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि प्रवासी मजदूर काम की तलाश में महाराष्ट्र आए थे। उन्होंने कहा , ' हमने उन्हें स्वीकार किया और उन्हें यहां काम करने दिया। हमने इन लोगो